औद्योगिक श्रमिक सबसे ज्यादा निश्चिंतता के माहौल में जीवन यापन करता है। तमाम उम्र एक मकान की हसरत लिए हुए वह दुनिया से विदा हो जाता है। यदि मंहगाई की दर 8% है तो उसका पारिश्रिमिक उक्त अनुपात में नहीं बढ़ता। यदि श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिल जाए तो वह अपना जीवन शांति के साथ निकाल सकता है। हमारा प्रस्ताव है कि ईपीएफ का कॉर्पस जो लगभग छह लाख करोड़ है, से शहरी श्रमिकों के लिए आवास बनाए जाएं तथा श्रमिकों को उक्त मकान में उसकी तमाम उम्र के लिए रहने का अधिकार मिल जाए।