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बैंकिंग सुधार


एक सुदृढ़ एवं मजबूत बैंकिग व्यवस्था एक मजबूत अर्थव्यवस्था का आधार है ।

अन्य क्षेत्रों की तरफ बैंकिंग को भी विशेषज्ञता को अपनाना पड़ेगा अत: हमारा प्रस्ताव है कि बैंकिग व्यवस्था को निम्न श्रेणी में बांटा जाए।

  • व्यक्तिगत बैंकिग: यहां पर सिर्फ खातों का परिचालन हो तथा किसी भी प्रकार का ऋण इत्यादि चाहे वो व्यापारिक ऋण है या कार/मकान का न दिया जाए।
  • ग्रांटेबल एवं हाउसिंग फाइनेंस बैंक : यह बैंक सिर्फ कार लोन, गृह ऋण, व्यक्तिगत ऋण इत्यादि का कार्य करें।
  • लघुउद्दोग बैंक : इस प्रकार में बैंक कोई भी ब्यक्तिगत बैंकिग कार्य नही करेंगे तथा सभी प्रकार के लघु एवं मध्यम क्षेत्री के कारोबारी को ऋण देंगे।

इन बैंको की भी कुछ अनन्य ब्रांच लघु उद्योगों के लिए एवं कुछ ब्रांच मध्यम श्रेणी में कारोबार के लिए रिजर्व रहे।

बड़े उद्यमों के लिए बैंक सेजमेंट वाइज होने चाहिए तथा इस प्रकार के बैंक ब्रांच रहित होने चाहिए। बल्कि यह बैंक न होकर एफ.आई की तरह होने चाहिए तथा यहां पर स्वीकृत ऋण समान्य बैंक द्वारा संचालित है। सेगमेंट खास बैंक से तात्पर्य है कि पावर सेक्टर के लिए एक बैंक, टेलीफोन सेक्टर के लिए एक बैंक, स्टील के लिए अलग एक बैंक होने चाहिए।

यदि अधिकारियों के पास सेक्टर क्षेत्र विशेष का अनुभव होगा तो लोन देने की प्रकिया दोष रहित होगी तथा उस पर निगरानी भी मजबूत होगी।