आज़ादी के सात दशक पूर्ण होने पर भी भारत मात्र एक विकास शील राष्ट्र ही बन पाया है जबकि भारत से 2 साल बाद आज़ाद हुआ चीन एक व्यापारिक एंड सामरिक महाशक्ति बन गया है । कारण स्पष्ट है कि भारत में अर्थव्यवस्था के दो स्तम्भ, किसान और कारोबारी सदैव सरकारी उपेक्षा के शिकार रहे है । भारत का भेट भरने वाला किसान स्वयं भूखा है, कर्ज़दार है और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है । किसान को अपने कृषि कारोबार में अपनी लागत भी नहीं प्राप्त हो पा रही है । भारत का कारोबारी जिसमे मोची,धोबी, नाई, सब्ज़ी फल विक्रेता, पान विक्रेता, नुक्कड़ की छोटी छोटी दुकाने से लेकर वकील, इंजीनियर, सीऐ इत्यादि और लघु उद्योग इत्यादि हमेशा से सरकार के निशाने पर रहा है और सरकारी अधिकारियो द्वारा उत्पीड़न का शिकार रहा है । इसका सबसे बड़ा कारण है कि किसान कारोबारियों की राजनीती एवं सत्ता संचालन में शून्य सामान भागीदारी ।
भारत की सबसे बड़ी समस्या, बेरोजगारी, का समाधान भी किसान एवं व्यापारियों के उद्धार एवं उत्थान में ही निहित है क्योकि 12 करोड़ किसान और 11 करोड़ कारोबारी एवं इनके द्वारा प्रदत 44 युवाओ को रोजगार ने भारत के युवाओ के रोजगार की समस्या को संभाला हुआ है ।
दुर्भाग्य से वोटों की राजनीति के चलते, आज राष्ट्र में एक भी ऐसा राजनीतिक दल नहीं है जो देश के किसान और कारोबारियों के कल्याण के विषय में कुछ करने का साहस कर सके। ऐसे समय में राष्ट्र को एक कारोबारी मानसिकता वाले राजनीतिक दल की आवश्यकता है जो केन्द्र एवं प्रदेशों में सरकार स्थापित कर ऐसी नीतियां बनाए कि राष्ट्र में कारोबार करना सुगम हो, सरल हो, करों के मकड़ जाल से मुक्ति दिला सके तथा वैधानिक नियमों का पालन इतना सरल हो कि एक छोटा कारोबारी भी भयमुक्त होकर उसका पालन कर सके।
आज राष्ट्र जब जातिगत एवं धार्मिकता की राजनीती में लिप्त है, वही किसान कारोबारी जातिवाद, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण में, राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में एवं राष्ट्र के युवाओ को रोजगार मुहैया कराते हुये राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर है । आज किसान और कारोबारी देश प्रदेश की सत्ता में अपना वर्चस्व स्थापित करने को आतुर है और एक ऐसा सशक्त कारोबारी राष्ट्र बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है जहाँ कारोबार करना ही धर्म हो, कर्म हो, हर हाथ रोजगार हो, हर पेट भोजन हो तथा एक ऐसा अद्भुत वातावरण बने कि राष्ट्र की खोई प्रतिष्ठा “सोने की चिड़िया” पुन: स्थापित हो और भारत विकसित राष्ट्र की पंक्ति में सबसे आगे खड़ा हो ।
उपरोक्त उदेश्य की पूर्ति एवं भारत को एक कारोबारी प्रधान राष्ट्र बनाने हेतु इंडियन बिज़नेस पार्टी की स्थापना 2014 में, हुई थी और पार्टी का एकमात्र नारा है
"व्यापार है तो विकास है"
आप सभी से अनुरोध है कि भारत की सर्वप्रथम गैर जातिगत, गैर धार्मिक एवं गैर संप्रदाय वाले एक मात्र राजनीतिक दल " इंडियन बिज़नेस पार्टी " से जुड़े और भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने का मार्ग प्रशस्त करे ।